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काव्य कलश
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एक्स्ट्रा क्लास
बस्ता उठा टिंकू चला , चार चोराहे पार |
थक कर जब स्कूल पहुंचा , पता लगा रविवार ||
पता लगा रविवार , नहीं बजेगा घंटा घंटी |
पड़ेगी घर पर मार , नहीं कल की गारंटी ||
फिर चलाया दिमाग , मम्मी करनी कक्षा पास |
जाना हर रविवार , चलेगी अब एक्स्ट्रा क्लास ||
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