पूजलूँ लंबोदर को, गाऊ गीत गणेश ।
दोहे सब ऐसे रचो, झुमे देष-विदेश ।
शब्दार्थ :- नमन करे = पूजा = अर्चना करना
भावार्थ:- ’वाणी’ कविराज सबसे पहले लम्बोदर महाराज, विन्धविनासक गणपति जी के गीत गीते हुए प्रार्थना कर रहे हैं कि हे प्रभु ! आप हमारी लेखनी को लोकप्रियता प्रदान करें। मुझ पर गणपति महाराज की ऐसी अदृष्य अनुकम्पा होवे कि इस पुस्तक का लेखन कार्य षीध्र ही पूर्ण हो जाए और यह देष-विदेष में सर्वत्र अपनी आभा विखरेती हुई पर्यावरण प्रेमियों को मार्ग-दर्षन प्रदान करें ।