बहरे कई प्रकार के

बहरे कई प्रकार के, भांत - भांत के लाभ |
जब तक काम पड़े नहीं, तब तक लाभ ही लाभ ||
तब तक लाभ ही लाभ , चिल्ला कर वक्ता कहे |
मन मन हँसता जाय , वक्ता का पसीना बहे ||
कह 'वाणी' कविराज , पोस्ट मेन एमो लाया |
सुनी एक आवाज ,तीन मंजिल कूद आया ||


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

.

counter
माँ सरस्वती Indian Architect
FaceBook-Logo Twitter logo Untitled-1 copy

  © Free Blogger Templates 'Photoblog II' by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP