परसाद्यो भगत (राजस्थानी कहानी)

आकाई गाँव में दो नाम मनकां की जिबान पे छड्या थका हा। एक भगवान शंकर को नाम अन एक वांको लाड़लो परसाद्यो भगत यो गाँव बस्यो जदकाई ये दोई नाम गाँव के साथे-साथे रिया गांव वाळा को कसोई काम रूक्यो कोने दन-दन सब प्रकार का आनंद बढ़ताई ग्या
शंकर भगवान की मूरत वसान तो शान शकल उं दिखबा में कई खास रूपाळी कोनी ही वसा’नी देखोतो शंकर भगवान खूदी कसा रूपाळा हा पार्वती ने पनबा ग्या जीं दन तो वे राजा का भी राजा बींदराजा हा बड़िया उं बड़िया बण-ठण ने तर्या-तर्या रो श्रृंगार करने पचे पधारता पण भोळा-भंडारी तो ब्याव की हुणताई पेली ,जसा हा वसाई उठने चाल्ता वण्या , जाणे आकी दुनिया में यांको इज माण्डो मण्डर्यो वे आकी लागती-बलगती में यांके हरीकाईज एक-एक बराती ने कजाणा कटाउं-कटाउं छांट-छांट लाया यांकी कळा यै जाणे
थाने तो आछी त्र्याउं याद हे नी रामाबा शंकर भगवान की बारात देखबा ने गाँव का जो-जो छोरा-छोरी ग्या वांका मूं बिचारा आदा तो पाछाई आया गाँव का मनक घबरार्या वाने पांच-पचास छोरा-छोरी नजरै आर्या अन उटीने शंकर भगवान ने सरप्राईज वेर्यो वाने वांकी लिस्ट के हिसाब उं पांच-पचास बराती बत्ता कसान नजरे आर्या
असो को असोई म्हाके गाँव को परसाद्यो भगत हो ,मने तो यूं लागे के शंकर भगवान की बरात में मोतबिर बरात्या में एक यो भी हो , बींद खोतळी भी ईंज ढाबी कां के आत्मा तो अजर-अमर हे कतराई जन्मा उं यो वांके लारे को लारै
परसाद्यो भगत आका मळक को एदी हो, कदी तो हापड़बा में तो हमझ्योई न , कतरी दान मनकां इने धो काड़्यो पण वो धोया थका गाबा पेरबो नी हीक्यो एक कांगस्यो जेब में राकतो हो जींकाउं वो हूर हरीका रूंग्चा ने कदी-कदी बांच लेतो
उं नाराण्यो नई तो घणा बरसां तक दरपतो-दरपतो वींकी जामत करतो हो एक दान हजामत करताईन वीं नई ईंकाउं पैसा मांग लीदा वो तो जसो उठ्यो वसोई नई का हाराई राटी-राम्चा वाली लोड़ा की पेटी लेने भाग ग्यो भाग्यो ग्यो -भाग्यो ग्यो। हित्तर साल का बासा हतरा साल का मोट्यार ने पकड़बा दोड़्या वो कई पकड में आवे आगे जान पेटी ने खोली जीमे नरी खाली जग्या ही जिंमें वीं भाटा भर नाक्या अन पेटी ने उंडा कूड़ा में लेजा नाकी बिचारा नाराणबा उंई टेम पेले गांव ग्या अन हगरा राच-पीच नवा मोलाया तुरत-फुरत में नवा लाता तो दूजै दन मिठूबा घुड़कग्या अन नाराणजी तो मिठूबा का घरका नाई मसाणा में औजार बना बी-पच्ची जणा की लोड्या कुंकर करता माथा पे हाथ फेरबा उं थोड़ी लोड्या वेवे
वीं दन पचे कसाई नई का बेटा में अतरी ताकत कोने जो केता पेली परसाद्या भगत की जामत करे ओर गांव का कसाई नई में अतरी ताकत कोने ही जो जामत कीदा केड़े वींकाउं एक ढींग्लो मांग्ले
परसाद्या की जेबां में चोईसी घण्टा त्र्या-त्र्या को परसाद पड्योई रेतो हो जणी पे वणी को मन राजी वेजातो वणी ने झट खूल्या मंू काडन परसाद दे देतो बाकी मूंडाउं मांग्बा वाला ने तो वो मंग्ता-मंग्ता के-के वाने परसादकी जग्या कांकरा दे देतो यां चक्कर में गाँव का पांच- चार बूडा-ठाडा डोकरा का दांतड़ा जाता र्या जटा केड़े गाँव का मनक घणा होश्यार वेग्या वे शंकर भगवान को परसाद बनाई देख्या खा लेता पण ईं परसाद्या भगत के हात का परसाद ने पांच - पांच दान देख भाळ ने पचे परसाद आरोगता
बालपणा की बात हे वो भणवा जातो जीं दान कदी-कदी वींकी मां वीने आपणी ताकत उं हपड़ा देती। रोट्या तो दरप के मारे क्लाश का छोरा-छोरी मनवार कर-कर ने खुवा देता सब माड़साब वीने पाचै-पाचैै दरवाजा के भड़े बठाणता ताकि छुटृी वे ताईन भागबा में ईंको पेलो लंबर बण्यो को बण्योई रेवे कोई छोरो तो ईंके लारे दोड़तो आगे पाछे ओर तो ओर इने आतो थको देक गूंगट वाली लाड़ी दाद्या होराजी ने आता देक एक आड़ीने वे जावे वसान ईज वीने दोड़तो थको देकने बजार मंे सब एक आडी ने वे जाता धन्नाट दोड़तो थको वो असान लागतो जाणे फायर ब्रिगेड की लाल गाड़ी लाय बुझाबा जारी वे
एक दन परसाद्या के घरे पाचॅं-पन्द्रा पामणा पीर आया रोट्या-पाणी खा खुआ बेठाईज हा अन वो भी पूग्यो थोड़ी देर वी, अन वांकामू एक दाना-घड़ो बोल्यो अजी राजकुमारजी आज मां थांने देखबा के वास्ते आया यो हुणताई ने परसाद्यो भगत तो सबाका का बचमें गाबा खोल ने बेठग्यो लो देखो मने सबाने अपणा मोर बताबा लाग्यो देखो अटीने तो विज्ञान वाळी मेडम आंग्रा उगाड़ मल्या , वींका उपरे गणित वाळा माड़साब का घूम्मा अटीने नाळो अंग्रेजी वाळा की कामड़्या
वीं दन केड़े वीने कोई देखबा वाळा नी आया ओर वींका दो तीन भाई-बेना की हगाया में भी घणा रोबा पड्या परसाद्या भगत को जीव परसाद में अन शिवाजी का मंदर मेंज रमतो रेेवतो सुबे शाम शंकर भगवानकी आरती में घण्टिया बजावणो परसाद खा-खा ने पेट भर लेणो हांझ हुदी पेट में कटै जग्या खाली रेजाती तो चार-पाॅंच मक्की का रोट ढोलकी हरीका पेट में हरका लेणो बस आकाई दन में इतराक काम की वाने पूरी-पूरी हूद पड़ती ही
कुल मिलान कै भी वो परसाद्यो भगत हो तो लाखीणो भगत । 24 घण्टा वो ओम नमः शिवाय का जाप करतोई रेवतो हो चंदन बाॅंट‘-बाॅंट भगवान के लगातो पचे खुद का करम पे लगातो मन-मन में कै का कै मन्तर बोल्या करतो आकाई गाॅंववाळा को दिमाक ठण्डो रेवतो हो परसाद्यो घणो हुकनी मनक हो। कीनै जाता थका ने हामे मल जातो नी तो वींका अटक्या-बटक्या काम पगई बण जाता
गाॅंव का मनक परसाद देबा के वास्ते वाने हमारता फरता अन वो परसाद खाबा के वास्ते मनका ने हमारतो फरतो हो वीने चेतो राक ने हमारो तो पांच-दस मिनट में वो कटे कटे मल जातो बुलावे तो कसाई चंदजी के घरे नी जातो , भूका मरतो मर जातो पण मांग खाबा कींकेै घरे जातो अणी बास्ते जींको भी मन वेतो थाळी सजा ने मंदर ले जातो चार-पांच थाळ्या बाल भोग के नाम की हदैई मंदर पे भगत लोग ले आता परसाद्यो भोग लगान भावतो जो खातो अन बच जातो वाने जेबां में भर लेतो दन भर फरतो रेतो थोड़ो थोड़ो चड्या छरकल्या ,गायां ने ,टेगड़ा ने वांदरा ने खवाड़तो रेवतो
गाॅंव का टेगड़ा तकात हमेशां मंदर अई-अई होवता हा कां के वी भी जाणता हा के वाने रोट्या परसाद्यो भगत खवाड़े परसाद्यो भगत टेंशन फ्री वेन लांबा टांग्ड़ा करने हू तो रेवतो अन टेगड़ा आकी रात जागता रेता हा वना पूच्या कोई रात ने मंदर में पग मेल देतोनी टेगड़ा असा पाचे पड़ता नी वांको जांगल्यो फाड़ देता ठेठ वणाने वणाके घरां में वाड़ीन पचे आवता
गाॅंव में परसाद्या ने मनका करता कुत्ता ज्यादा हमझ ग्या हा मतलबी मनक तो अतराई हमझया हा के कोई पेशी पे जार्यो वेतो,कोई कसाई शुभ काम उं कटैै जार्यो वे तो , कोई धंधा पाणी उुं पेले गाँव जार्यो वे तो हूकन परसाद्या का लेन जाता हा छोर्या हारे-पीर जाती , कोई डिलेवरी पे जाती परसाद्या का हूकन लेन जाती मन में बोलमा करने जाती हे परसाद्या थूं शंकर भगवान ने कईजै हउ हरीको वे जई तो पाची आन थारे परसादी करूंली
शंकर भगवान की कीरपा उं कतराई परिवारां में नवा-नवा कुल-दीपक को उजाळो हुयो हाॅंचा विशवास वाला मनक मुकद्मा बाजी में जीत्या , कितराई मन धार्या कारज सिद्ध हुया वीं शिव मंदर को काम वरसां ताई चालतो - चालतो एक विषाल मंदर बण ग्यो गांवा-गांवा का लोग जोड़ा की धोग देबा के बास्ते वणी शिव मंदर आबा लाग ग्या।
एक साल शिवरात्री के दन हवेर पेली परसाद्यो भगत खूब जोर-जोर की घंटियां बजाई आरती में खूब नाच्यो ओर पचे आलकी-पालकी मार ओम् नमः शिवाय का जाप करबा के वास्ते कजाणा कसाई मोरत में बेठ्यो के दन आंथ बा तई भूखो-तरस्यो जाप करतो र्यो अटीने दन बावजी अस्त वेबा वाळा हा वटीने परसाद्या का प्राण पखेरू उड़ने कठे का कठै चल्या ग्या ।वाने मंदर उं तोक ने वांके घरे लेग्या
भजन मण्डली में गाँव वाळा आंसू बहाता थका भोला शंकर से या ही प्रार्थना करी की हे प्रभु ! हर गाँव में असा परसाद्या भगत होणा छावे ओर म्हाके गांव को यो परसाद्यो भगत तो पाछो झट उं झट म्हांका गांव में पाचो आजावे कोई भजन गाता र्या , कोई घण्टियां बजाता र्या असानी गाता-बजाता आकी रात निकळगी
दन उगताई गाँव वाळा अंतिम संस्कार कर परसाद्या ने आंसू टपकती आंख्याउं विदाई दी गांव री लुगाया पगा चालता छोरा-छोरी अन दूध पीवता टाबर्या ने लेन ठेठ मसाणा तई परीगी , छोर्या उंची-उंची ढाळा ले-ले अमरनाथ रा गीत गाया खास-खास लेणा असान की ही परसाद्या भगत अमर रहीजो जुग-जुग जीजो पाचा बेगा अईजो परसाद्या भगत की जे

1 टिप्पणी:

  1. लिख्यो तो घणोई बड़्या है पण, अतरो लांबो के भणता भणता ई थाक गिया।
    आज तो ईने पूरो नी भणी सक्या, पण पाचा कदी फुरसद मां आ ने ई लेख ने पूरो भणां।
    वस्यान भणवामां मजो तो आवे हे।
    :)
    ॥दस्तक॥|
    गीतों की महफिल|
    तकनीकी दस्तक

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